इन दिनों विश्वभर के शेयर बाजारों में भारी उठापटक का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से, एआई शेयरों में भारी गिरावट ने अमेरिकी और एशियाई बाजारों को गंभीर हानि पहुंचाई है। हालांकि, इन समस्याओं के बीच, भारतीय बाजार ने स्थिरता और मजबूती का प्रदर्शन किया है। एआई शेयरों की गिरावट का भारत पर सीमित प्रभाव दिखाई दे रहा है। **भारतीय बाजार क्यों बन रहा है सुरक्षित विकल्प?** 10 से 17 नवंबर के बीच, भारतीय सेंसेक्स ने 6 ट्रेडिंग सत्रों में 2% से अधिक की वृद्धि को देखा। बुधवार को सेंसेक्स में 513 अंकों की चढ़ाई हुई, जिससे इसका स्तर 85,186 तक पहुंच गया।
टेक सेक्टर के प्रमुख नेताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेजी से बढ़ते क्षेत्र को लेकर चिंता व्यक्त की है।
गूगल के CEO, सुंदर पिचाई ने कहा कि एआई के वर्तमान उदय ने बाजार में “अतार्किकता” को जन्म दिया है और ऐसे हालात में किसी भी कंपनी के लिए सुरक्षित रहना संभव नहीं होगा जब बबल फटने की स्थिति आएगी।
OpenAI के CEO, सैम ऑल्टमैन ने स्वीकार किया कि एआई के कई पहलू “बुलबुलेदार” हो गए हैं।
जेफ बेजोस ने एआई बूम को “औद्योगिक बुलबुला” की संज्ञा दी और चेतावनी दी कि इस क्षेत्र में किए गए भारी निवेश की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
इसके अलावा, प्रमुख वॉल स्ट्रीट नाम जैसे मॉर्गन स्टेनली और गोल्डमैन सैक्स ने भी संभावित बाजार मंदी के संकेत पहले ही दे दिए हैं।
विशेषज्ञों की दृष्टि — एआई व्यापार में गिरावट हो तो भारत सबसे अधिक लाभान्वित हो सकता है
वैश्विक निवेश कंपनियाँ अब भारत की ओर आशा भरी निगाह से देख रही हैं।
CLSA के एलेक्स रेडमैन का कहना है कि एआई का बुखार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है, और यदि इसमें गिरावट आती है, तो विदेशी निवेश कोरिया और ताइवान से हटकर भारत की ओर बढ़ सकता है।
जेफरीज के क्रिस वुड ने भारतीय बाजार को “रिवर्स एआई ट्रेड” का नाम दिया है, जिसका मतलब है कि जब एआई व्यापार कमजोर होगा, तब भारत सबसे अच्छा प्रदर्शन करेगा।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा का मानना है कि वर्तमान में बाजार की तेजी अमेरिका-भारत व्यापार डील की सूचनाओं के कारण है, जिसका प्रभाव फिलहाल मध्य- और..
### निष्कर्ष: एआई बबल के फटने पर भारत शीर्ष निवेश गंतव्य बन सकता है
दुनिया भर में एआई बबल के फटने की बातें बढ़ने लगी हैं। इस वैश्विक अस्थिरता के बीच, भारत एक स्थिर और आकर्षक बाजार के रूप में उभर कर सामने आया है। पारंपरिक उद्योगों की मजबूती, सीमित एआई प्रभाव और तेजी से बढ़ती घरेलू मांग भारत को विदेशी निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बनाती है।
यदि आने वाले महीनों में एआई की व्यापार गतिविधियाँ कमजोर पड़ती हैं, तो भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) में तेजी से वृद्धि की संभावना है।
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